गुस्सा
गुस्सा
कोई बात ऐसी होती है, जिसकी वजह हम जान नहीं पाते
जो हालात होते हैं हमारे सामने
उनको हम समझ नहीं पाते
लोगों का व्यवहार बदलता है और बदल जाती है उनकी बातें
बस इसी परिस्थिति को हम संभाल नहीं पाते
कोई अपना बनकर बातों के घाव दे जाता है
मन का सुकून और दिल का चैन ले जाता है
सहने वाले भी कमाल का हुनर रखते हैं
वो तो सह लेते हैं बहुत सी बातें जो कहने वाले कह देते हैं
गुस्सा कब सवार होता है, जब कोई अपना पीठ पीछे वार करता है
बुनता है वो जाल चालसाजी के और नफरतों का स्वाद चखता है
तब ये गुस्सा उसके स्वार्थ पर नहीं अपने आप पर आता है
ना जाने क्यों दिल उसकी छोटी से छोटी तकलीफ पर भी भर आता है
आखिर क्यों लोगों जैसा नहीं बन पाते हैं
क्यों उनके जैसा व्यवहार नहीं रख पाते हैं
बदलते रहते हैं रंग उनके जैसे मौसम बदल रहा हो
आखिर क्यों हम अपने आप को बदल नहीं पाते
और क्यों अपनी भावनाओं को समझ नहीं पाते।
रेखा खिंची ✍️✍️