सुकून
गुलों की महक भी एक पैगाम दे जाती है
बिछड़े हुए प्रीतम की याद दिला जाती है
यह बसंत भी राह तकते बीत रहा है मेरा
किताब में दबी निशानी सुकून दे जाती है
इंजी संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश
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