गुलामगिरी
आख़िर इतनी भयंकर भूल ही क्यों की!
अपने दिमाग़ की बत्ती गुल ही क्यों की!!
बिना किसी बगावत के पीढ़ी-दर-पीढ़ी
तुमने उनकी गुलामी कबूल ही क्यों की!!
आख़िर इतनी भयंकर भूल ही क्यों की!
अपने दिमाग़ की बत्ती गुल ही क्यों की!!
बिना किसी बगावत के पीढ़ी-दर-पीढ़ी
तुमने उनकी गुलामी कबूल ही क्यों की!!