गुलाब
#गुलाब
कांटों के साथ ही, कलियों से बनें गुलाब।
साथ साथ खेले, साथ में बड़े हुए जनाब।
सुंदरता से इनकी, गुलशन हर्षित है बेहिसाब।
कांटों का फूल से, है सागर से गहरा प्यार।
फूल को कोई तोड़े, कांटा डसता है जनाब।
फूल कांटे का प्यार, बना सारे जहाँ की मिसाल।
हम प्यार करते हैं, पर कांटों का रखते हिसाब।
आपका महबूब गुलाब है, तो कांटा बनो जनाब।
कोई महबूब को, आपसे अलग करता है तब।
गुलाब कांटों की तरहा, डस जाओ उसे जनाब।
जमाने में खिल जाये, हर रिश्ते के प्रित में गुलाब।
एक दुसरे को, कभी ना देना उलटे सीधे जवाब।
सफर की राहों में, बिछ जायेंगे गुलाब ही गुलाब।
कांटों के साथ ही, कलियों से बनें गुलाब।
साथ साथ खेले, साथ में बड़े हुए जनाब।
स्वरचित मौलिक
कृष्णा वाघमारे, जालना, महाराष्ट्र.