” गुलाब “
फूलों के दर्द को किसी ने नहीं
समझा है,
लोगों ने उन्हें सिर्फ मुस्कुराते हुए
देखा है,
ये फूल गम में भी मुस्कुराने की
फिजा रखते हैं,
हमनें तो इन्हें काँटों में भी खिलते
हुए देखा है,
अपने वजूद को इन्होंने बचाकर
रखा है,
खुद टूटकर दो दिलों को मिलाकर
रखा है,
बिखेरते हैं,खुशबू दो दिलों के
बीच
इसलिए प्रेमियों ने इनका नाम
“गुलाब” रखा है ।।
– आनन्द कुमार