गुलाब
विषय-गुलाब
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फूल हूं गुलाब का में,
चढ़ता प्रभु के चरणों में।
या वीर जवानों के पथ पर,
बिछा दिया जाता चादर बन कर।
क ई रंग मेरे होते,लाल, पीला,नीला
जो बहुत मन भावन होते हैं।
पर! मुझमें कांटे भी होते,
जो मानुष को चुभते हैं।।
फूलों के तुम राजा कहलाते,
कांटों में भी तुम मुस्काते ।
पेड़ की डाली पर खिलकर तुम,
सबके मन को बहुत लुभाते तुम।
हर डाली में फूलों पर,
भौंरा गुन गुंजन करते।
फूलों का रसपान कर,
मन ही मन हर्षाते ।।
सुषमा सिंह *उर्मि,,