गुलशन फिर आबाद होगा …
तू सब्र कर सब्र का फल मीठा होगा ,
यह तेरा गुलशन फिर आबाद होगा
फिर खिलेंगे रंग बिरंगे खूबसूरत फूल ,
डाली डाली पत्ता पत्ता हरा भरा होगा ।
जंगल भी फिर से आबाद होंगें और ,
पशु पक्षियों का आजादी से घूमना होगा।
नदियों का आंचल फिर से पवित्र निर्मल ,
और एक आईने की भांति साफ होगा ।
पर्वत जो गर्व से सिर उठाके खड़े है ,
उनका मस्तक कभी नीचा नहीं होगा।
धरती हरियाली की चादर ओढ़ सकेगी ,
चारों और सुंदर कालीन बिछा होगा।
खेत भी खुशी से लहलहाएंगे ,झूमेंगे ,
परिश्रमी किसान का जीवन महकेगा ।
आसमान सजाएगा सितारों से उसकी मांग ,
सूर्य धरती को किरणों का ताज पहनाएगा ।
देवता बरसाएंगे स्वर्ग से आशिषो के फूल ,
ईश्वर का स्नेह वर्षा रूप में उसपर बरसेगा।
धरती ! तेरा गुलशन फिर से आबाद होगा,
तुझे बस ईश्वर पर अपना भरोसा रखना होगा ।