गुलमोहर
दिन के उजाले में दिखी दूर कहीं गुलमोहर के पीछे,
मिलने आई वो हमसे जाने क्यों अपनी अखियाँ मींचे
धीरे-धीरे रुनझुन रुनझुन पायल की छम छम बजाते,
दिल में उतर आई होले होले अपने आंचल को लहराते,
आज गुलमोहर की खुशबू फैल गई है पूरे उपवन में,
याद आ रहे हैं वो दिन जब तुम मिले थे हमें सावन में,
मृदुल मधुर अधखिली सी वह पंखुड़ी है गुलमोहर की,
धीरे से आकर शोर मचाए कानों में जैसे गुंजार भौरों की I