गुलमोहर के दो पेड़
गुलमोहर के
दो पेड़
आमने सामने
दो कोनों में लगे हुए
कभी हमारे घर में भी थे
अब सड़क के उस पार
एक दूसरे से थोड़ी दूरी पर
खड़े दिखते हैं
कभी अब जो नहीं हैं
उनके फूलों की खूबसूरती को देखकर ही
हमारे घर के सामने किसी ने लगाये
होंगे
अब हमारे तो नहीं हैं पर
उनके घरों में हैं
हमारे घर से वह दिखते हैं
उन्हें देख मुझे अपने
गुलमोहर के पेड़ याद आ जाते हैं
ऐसा लगता है मुझे
कभी कभी कि जैसे
मेरी कल्पना और
मेरे ही घर के दोनों गुलमोहर के
पेड़ों को
कोई मुझसे छीनकर
चुराकर ले गया
अपने घर को सजाने के लिए।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001