गुलदस्ता नहीं
गुलदस्ता नहीं
बाग बनाओ जीवन को
चह- चह करती
चिड़िया जिसमें
प्रातःखिलती
कलियाँ उसमें
एक नया फिर
राग बनाओ जीवन को
सर्दी के संग
गर्मी झेले
सीने पर
ओले भी लेले
काम पड़े तो
आग बनाओ जीवन को
लोहा जैसे
काटे लोहा
बने प्रदूषण
उम्र का दोहा
साँसों का वह
भाग बनाओ जीवन को
.