गुरू
गुरू हमें जीवन दर्शन का ज्ञान प्रदान कर मार्ग प्रशस्त करता है। गुरू के सानिंंध्य के बिना मनुष्य का जीवन उस बंजारे की तरह हो जाता है जिसे अपने गंतव्य का ज्ञान नहीं है। और जीवन भर वह अपने गंतव्य को खोजने में भटकता रहता है। जो आदर्श और संस्कार हमें गुरू से मिलते हैं वे अनमोल होते हैं। जिस तरह पत्थर को तराश कर हीरा बनता है। उसी तरह एक सच्चा गुरू अपने शिष्य को आदर्श और संस्कार से तराश कर एवं ज्ञान से परिपूर्ण कर उसे उच्च कोटि मानव बनाने मे कृतसंकल्प होता है ।
इस गुरू पुर्णिमा के अवसर पर मेरे श्रद्धा सुमन सुमन उन समस्त गुरूओं को अर्पित हैं जिन्होंने मेरा जीवन सार्थक बनाया है।