गुरु
गुरु बिन ज्ञान ना उपजै मन मे //
गुरु बिन है सब सून //
गुरु बिन पाथर बनै ना हीरा //
गुरु बिन जीवन क्षीण //
गुरु की लीला गुरु ही जानै //
गुरु बिन निसिद्ध, सब काम //
गुरु से ही तो शिक्षित मानवजन //
गुरु बिन ज्ञान ना होये //
गुरु से ही तो जग है सारा //
गुरु बिन कल्पना क्षीण ओ साथी,
गुरु बिन कल्पना क्षीण //
~: कविराज श्रेयस सारीवान