गुरु
गुरु
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पथ पर चलु मैं ऐसे, जिसमे जीवन समाए
बिना गुरु के आधे रास्ते, जीवन जो पछताए
आधी रात में खड़ा हो जाऊ चौराहे जो आए
गुरु ही एक मार्ग दिखाए,चरणों में उसके जाए।।1।।
मार्ग दिखाता,पथ पर लाता ऐसा गुरु मिल जाए
पूर्व संचित किए हो तूने,भाग्य से गुरु जो पाए
कम ही भाग्यवान जिनको,गुरु स्नेह मिल जाए
सान्निध्य गुरु का मिले तो जीवन सफल हो पाए।।2।।
मिलना ईश्वर से कभी,गुरु बिना अधूरा रह जाए
मांगो कभी ईश्वर से सभी,सच्चा गुरु मिल जाए
मात पिता से आगे वंदनीय वो गुरु ही कहलाए
पूजनीय जो ईश्वर से आगे उसे गुरु समझा जाए।।3।।
सत्य दर्शन करना मन का, उसे गुरु ही समझाए
त्रयस्थ मन से खुद को देखना, गुरु ही बता पाए
आत्मपरीक्षण की कसौटी उतरना गुरु ही मार्ग दिखलाए
ऐसे गुरु के चरण में होना, परम् भाग्य कहलाए।।4।।
मंदार गांगल “मानस”