गुरु
प्रथम गुरु है माता, द्वितीय गुरु है पिता,
तृतीय है शिक्षकगण,
गुरु सिर्फ एक शब्द नहीं,
एक सच्ची भावना है,
गुरु ने ही सही रास्ता दिखाया है,
गुरु ने ही जीवन का पाठ सिखलाया है,
कोई नहीं इस संसार में गुरु के समान,
गुरु ने ही हमे ईश्वर से मिलवाया है,
हर व्यवसाय मे लोग अपना स्वार्थ अपना भला चाहते है,
एक गुरु ही है जो अपने विधार्थियों को खुद से ज्यादा कामयाब देखना चाहते है,
मनुष्य को मनुष्य बनाने का सफर एक गुरु के द्वारा ही शुरू होता है,
इस संसार में हमे सदमार्ग दिखाने वाला हर इंसान हमारा गुरु होता है,
गुरुओं की नैतिक बातों का सदैव करते रहो श्रवण,
जो हमे सच्चा इंसान बनाते है,
मेरा उन तमाम गुरुओं को सत् सत् नमन।
✍️वैष्णवी गुप्ता(Vaishu)
कौशांबी