गुरु
आदमी जब आदमी के रूबरू होता है
तो मानो एक – दूसरे का गुरु होता है
कौन गुरु है कौन शिष्य ये वक़्त बताता है
ये सिलसिला वक्त के साथ ही शुरू होता है
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
आदमी जब आदमी के रूबरू होता है
तो मानो एक – दूसरे का गुरु होता है
कौन गुरु है कौन शिष्य ये वक़्त बताता है
ये सिलसिला वक्त के साथ ही शुरू होता है
-सिद्धार्थ गोरखपुरी