गुरु हो साथ तो मंजिल अधूरा हो नही सकता
कोई भी शिक्षा बिना गुरु के
पुरा हो नहीं सकता |2|
अगर गुरु हो साथ तो कोई भी मंजिल
अधूरा हो नही सकता ||
बिना पहचान के तो सोना भी फीका है |2|
क्योंकि सोने की चमक तो केवल सोनार को ही दिखा है|
बिना गुरु के हमारा, हर हुनर फीका है |2|
क्योंकि गुरु के बदौलत ही तो हमने पहली बार लिखा है||
कोई भी काम को जैसे- तैसे तो हर कोई कर लेता है |2|
हर काम को सही (ढंग) से करना , ये गुरु से ही तो सिखा है|
हुनर तो बहुत था मुझमें |2|
पर ये दुनियाँ को केवल गुरु के बदौलत दिखा है||
शून्य भी लिखना न आता हो जिसे,
डॉक्टर इंजीनियर और ऑफिसर बनाते हैं गुरू |2|
ढंग से बात करना भी न आता हो जिसे
सफल हो जिंदगी में, हमें इस काबिल बनाते हैं गुरू ||
हर मुश्किल सवाल को आसान बनाते हैं गुरू
सही राह सदैव दिखलाते हैं गुरू |
हम सम्मान से जी सके समाज में
ऐसे जीवन के गूढ़ सिखलाते हैं गुरू||
राह अगर गुरू दिखाये
तो पथ पर कोई खो नहीं सकता
जो करे अनुसरण गुरू का
उसका सपना अधुरा हो नहीं सकता
कोई भी शिक्षा बिना गुरु के
पुरा हो नहीं सकता |2|
अगर गुरु हो साथ तो कोई भी मंजिल
अधूरा हो नही सकता ||
–दिवाकर महतो
राँची (झारखंड)