गुरु माया का कमाल
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
आरजूएँ कम होती नहीं हैं सारी जिंदगी ।
एक – एक करके धूमती रहती सारी जिंदगी ।
एक होती पूरी तो दूसरी उठाती है फन अपना ।
इन्ही की तीमार दारी में गुजरता जीवन अपना ।
क्या तुम क्या मैं सबका बुरा हाल है क्या कमाल है ।
विधाता के राज्य में देख लो भाई यही तो धमाल है ।
इस मकड़ जाल से निकल पायेँ कैसे यही बड़ा सवाल है ।
गुरु क्या गुरु घण्टाल क्या त्याग समझाते सभी ।
खुद चलते मर्सिडीज में तुम चलो पेदल बतलाते सभी ।
माया मोह संतति रुपया पैसा छोड़ कर शरण में इनकी जाइये ।
बन बपुआ के बंदर माफ़िक इनको पल पल धोक लागाइए ।
देसी चेलों से मन तो इनका कभी नही भर पाया है ।
महिना दुई महिना पर स्वामी जी विदेसवा का चक्कर लगाया है ।
गऊ सेवा , निशक्त जन सेवा, आश्रम सेवा, वृक्ष सेवा ।
रोज रोज प्रवचन के बीच बीच दानोपार्जन चक्कर चलाया है ।
आरजूएँ कम होती नहीं हैं सारी जिंदगी ।
एक – एक करके धूमती रहती सारी जिंदगी ।
एक होती पूरी तो दूसरी उठाती है फन अपना ।
इन्ही की तीमार दारी में गुजरता जीवन अपना ।