गुरु गोविंद सिंह जी की बात बताऊँ
गुरु गोविंद सिंह जी की बात बताऊँ
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गुरु गोविंद सिंह जी की बात बताऊँ
सवा लाख से मै एक सिंह लड़ाऊँ।
मुगलों के जब बढ़ गये थे अत्याचार,
जुल्म मिटाने बनकर आ गये सरदार,
चिर से जो सोये उनको आन जगाऊँ।
सवा लाख से मै एक सिंह लड़ाऊँ।
वार दिये देश धर्म पर सभी पुत्र चार,
ऐसे नही देखे अबतक कोई अवतार,
अप्रितम मूर्त प्रतिमा पर फूल चढ़ाऊँ।
सवा लाख से मै एक सिंह लड़ाऊँ।
मन मंदिर बसाई पिता की कुर्बानी,
उन जैसा न जग मे देखा कोई दानी,
याद कर वो तस्वीर दिल मे बसाऊँ।
सवा लाख से मै एक सिंह लड़ाऊँ।
मनसीरत ने सुनाई कहानी जुबानी,
गुरु ग्रंथ साहिब है अनोखी निशानी,
शेर शहीदों के चरण शीश झुकाऊँ।
सवा लाख से मै एक सिंह लड़ाऊँ।
गुरु गोविंद सिंह जी की बात बताऊँ,
सवा लाख से मै एक सिंह लड़ाऊँ।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)