गुरु कृपा
सागर धरा पताल गगन में,
नहीं हितु सन्त समान।
मानव जन्म सफल करना तो,
गुरु वचन नित मान।
वेद पुराण रामायण गीता
में है हरि गुणगान।
दोहा छंद श्लोक चौपाई,
भक्ति के सोपान।
इनका अध्ययन गायन चिंतन,
भी एक कार्य महान।
दान पुण्य तीर्थ या पाठन,
पहली कक्षा जान।
लेकिन सच्ची भक्ति चाहिए,
खोजो गुरु सुजान।
वह केवल एक युक्ति बताता,
मुक्ति सार हरि ध्यान।
सुमिरन भजन स्वरूप गुरु का
सच्ची भक्ति माना।
प्रभु मिलन का एकल साधन,
गुरु कृपा से पाना।