गुरु की महिमा
********** गुरु की महिमा *********
************** दोहे *************
प्रथम गुरु जननी हुई , देती है उपदेश
जीवन पाठ सीखाती ,दे समाज प्रवेश
शिक्षक का पद है बड़ा , करे ज्ञान प्रकाश
पथ प्रदर्शक बन खड़ा , जैसे हो आकाश
गुरु बिन गति होती नहीं, कहते ज्ञानी लोग
पर्ण तलक हिलता नहीं,कटता अज्ञान रोग
गणेश पूजन बाद में, पहले पूजो गुरुदेव
उच्च दर्जा संसार में, रहे जग में सदैव
मृण के पड़े ढ़ेर को , देता है आकार
मिट्टी के भी माधो को , कर देता साकार
मनसीरत गुरु दक्षिणा, जीवन उसके नाम
महा शक्ति हैं लक्षणा,हासिल होत मुकाम
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)