गुरु की महिमा
जब कदम डगमगाए और मन हो परेशन ,
विफलता का जब भी हमें भय सताए,
उस पल मसीहा गुरु याद आए।
गुरु एक माता ,गुरु एक पिता है।
अपराध जब हो गुरु पूर्ण जज है ।
भले जग हो मिथ्या गुरु पूर्ण सत्य है ,।
गुरु वंदना है गुरु ही है पूजा,
गुरु समतुल्य नहीं कोई दूजा है ।
है वेदों में वर्णित गुरु की जो वाणी ,
मनीषियों ने समझी गुनियों ने जानी।
गुरु है सफलता शिखर कि वह सीढ़ी कि ,
जिस पर से चढ़कर सफलता मिलेगी ।
क्षय होगी दानवता विकसेगी मनुजता,
गुरु वंदना से विकसे सफलता ।
पथरीले पथ में पथ एक सजाता है जो।
गीली मिट्टी को अपने कर ,
परिश्रम से सुंदर स्वरूप देता है जो।
नन्हें से पौधों की रखवाली कर ,
सुगंधित प्यारा उपवन बना देता है जो।
चिर वंदनीय और परम पूज्य ,देव – तुल्य ,
पूज्य शिक्षक है रेखा सच में वो।