गुरु का महत्व
सुना है गोविंद आकर स्वयं गुरु का महत्व बताते हैं
गुरु के चरणों में निज शीश सबसे पहले नवाते हैं
गुरु मुकुंद है,गुरु ब्रह्म है,गुरु साक्षात् शिव स्वरूप
जिसके सानिध्य में मिट जाता अज्ञान रूपी तम का रूप
कहो हुआ है कब कौन सफल जिसने गुरु की वाणी काटी
सत्य कहा है किसी ने भाई है गुरु चंदन हम माटी
गुरु है एक जलता दीपक हम अदनी सी बाती
गुरु का ज्ञान तेल सरीखा जिससे जलती बाती
तम की राहों पर से जो प्रकाश पथ पर लाता है
सच पूछो तो वो ही जीवन का सच्चा गुरु कहलाता है
गुरु है खुद ही ग्रंथ सरीखा हम तुम केवल पाटी
सत्य कहा है किसी ने भाई है गुरु चंदन हम माटी
गुरु का हाथ हो सर पर तो नरेंद्र विवेकानंद बन जाता है
गुरु दक्षिणा चुकाने को एकलव्य अंगूठा भेंट चढ़ाता है
गुरु की कृपा रही हो जिस पर वह इतिहास बनाता है
पाकर चाणक्य जैसा गुरु चंद्रगुप्त महान कहलाता है
हम तुम हैं बस बीज सरीखे, गुरु है फूलों की घाटी
सत्य कहा है किसी ने भाई है गुरु चंदन हम माटी
वृक्ष,धरा,अम्बर,सरिता,सूर्य,चंद्र,कल और आज
मात-पिता,बंधुजन,मित्र,अध्यापक और समाज
हर कोई है शिक्षित करता अलग-अलग विधा से
ज्ञान,शील,संस्कार और आचरण की विद्या से
आज शिक्षक दिवस के अवसर पर सबको शीश नवाते हैं
हाथ जोड़ गुरु चरणों में मस्तक अपना झुकाते हैं।।