Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Apr 2017 · 3 min read

गुरु अमरदास के रुमाल का कमाल

केवल डेढ़ वर्ष तक गुरुपद को सम्हालने वाले गुरु अमरदास गोईंदवाल नगर और 84 सीढि़यों वाली पवित्र बावली के निर्माणकर्ता तो रहे ही हैं, गुरुजी ने गुरु रामदास को नया नगर अमृतसर बसाने की भी प्रेरणा दी।
गुरु अमरदास अत्यंत धार्मिक अभिरुचि थे। परमात्मा की हर शक्ति उनके भीतर विराजमान थी। उन्होंने अपने अनन्य भक्त भाई पारो, लालो, दीया, मल्लू, थाही आदि का उपदेशों के द्वारा उद्धार किया। गुरुजी ने भक्ति को स्पष्ट करते हुए उसके तीन प्रकार बतलाये। उन प्रकारों को स्पष्ट करते हुए गुरुजी ने कहा कि ‘नवधा भक्ति’ के अन्तर्गत भक्त सतनाम का सुमिरन परमात्मा के चरणों में लीन होकर दास्य भाव से करता है। ‘प्रेमा भक्ति’ में भक्त रात-दिन परमात्मा से प्रेम करते हुए मस्त रहता है। ‘परा-भक्ति’ के अन्तर्गत भक्त का चित्त आनंद स्वरूप हो जाता है जो कि समस्त जगत के कल्याण का एक रूप है।
गुरुजी ने जगत के कल्याणार्थ अपने भतीजे सावनमल को एक पवित्र रूमाल देते हुए कहा-‘‘इस रुमाल को सदैव हाथ में धारण रखना, दूसरे गुरुपद के मनोवांछित कार्य सम्पन्न होंगे। साथ ही तुम्हारी हर पवित्र कामना को यह रुमाल पूरी करेगा।’’
एक समय की बात है जब एकादशी व्रत का दिन था। गुरुजी के भतीजे सावनमल हरिपुर में थे। इस दिन हरिपुर के राजा की आज्ञा थी कि कोई भी अन्न ग्रहण नहीं करेगा। किंतु सावनमल ने एकादशी के दिन भी रेाज की तरह स्वयं खाना बनाकर खुद खाया और अन्य भक्तों को भी खिलाया। यही नहीं इस प्रसाद को बहुत से हरिपुरवासी भी ले गये।
राजा को जब इसका पता चला तो वह क्रोधित हो गया। उसने सावनमल को तुरंत अपने दरबार में बुलवा लिया और पूछा-‘‘एकादशी व्रत के दिन जबकि कोई अन्न ग्रहण नहीं करता है, तुमने खाना बनाकर स्वयं क्यों खाया और अन्य लोगों को क्यों खिलाया? यहां तक कि हमारी प्रजा में अन्न से बनी रोटियों को प्रसाद के रूप में बांटकर तुमने जो अपराध किया है, उसे देखते हुए हम तुम्हें प्राणदण्ड तो नहीं, किन्तु कैद करने का हुक्म देते हैं।’’
सावनमल ने कहा-‘‘ राजन्! रोज की तरह यह कार्य इसलिये किया गया क्योंकि हमारा गुरुपरिवार इस तरह के व्रतों में विश्वास नहीं रखता।’’
यह सुनकर राजा आगबबूला हो गया और उसने अपने मंत्री से कहा-‘‘इसने हमारी आज्ञा का उल्लंघन किया है अतः इसे कैद कर लिया जाये।’’ मंत्री ने सावनमल को कैद खाने में डलवा दिया।
इस घटना के दूसरे दिन राजा के लड़के को हैजा होने के कारण उसकी मृत्यु हो गयी। महल में शोक छा गया और राजा-रानी सहित प्रजाजन विलाप करने लगे।
तभी राजदरबार के पुरोहित और ब्राह्मणों ने राजा से कहा-‘‘ महाराज! आपने निर्दोष सिखों को कारागार में डाल दिया है, इसी कारण आपको पुत्र-वियोग सहना पड़ रहा है।
यह सुनते ही राजा ने समस्त सिखों को सावनमल के साथ कारा से मुक्त कर दिया। कारा से मुक्त होने के बाद सावनमल ने राजा को संदेश भिजवाया कि वह उसके पुत्र को जीवित कर सकते हैं। राजा ने तुरंत ही सावनमल को महल में बुलवा लिया। सावनमल ने राजा के पुत्र की मृतकाया के समीप ‘जपुजी साहब’ का पाठ किया और गुरु अमरदास से प्रदत्त रूमाल के कोने को धोकर उसकी दो तीन बूंदें लड़के के कान में डाल दीं। ऐसा होते ही राजा का पुत्र जीवित हो उठकर बैठ गया। ये चमत्कार देख राजा- रानी सावनमल और उनके गुरु के प्रति श्रद्धानत हो उठे। उन्होंने सावनमल को ढेर सारा धन व वस्त्र दिये और सतनाम का जाप करने लगे।
———————————————————–
संपर्क-15/109 ईसा नगर निकट थाना सासनी गेट अलीगढ़

Language: Hindi
Tag: लेख
499 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कृषक की उपज
कृषक की उपज
Praveen Sain
🙅महा-ज्ञान🙅
🙅महा-ज्ञान🙅
*प्रणय*
सुस्ता लीजिये - दीपक नीलपदम्
सुस्ता लीजिये - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
हर समय आप सब खुद में ही ना सिमटें,
हर समय आप सब खुद में ही ना सिमटें,
Ajit Kumar "Karn"
*ग़ज़ल*
*ग़ज़ल*
शेख रहमत अली "बस्तवी"
"जीवन का आनन्द"
Dr. Kishan tandon kranti
यादो की चिलमन
यादो की चिलमन
Sandeep Pande
सावन बीत गया
सावन बीत गया
Suryakant Dwivedi
18--- 🌸दवाब 🌸
18--- 🌸दवाब 🌸
Mahima shukla
बाबू
बाबू
Ajay Mishra
मोबाइल भक्ति
मोबाइल भक्ति
Satish Srijan
सत्यं शिवम सुंदरम!!
सत्यं शिवम सुंदरम!!
ओनिका सेतिया 'अनु '
बेकाबू हैं धड़कनें,
बेकाबू हैं धड़कनें,
sushil sarna
मैं चट्टान हूँ खंडित नहीँ हो पाता हूँ।
मैं चट्टान हूँ खंडित नहीँ हो पाता हूँ।
manorath maharaj
पढी -लिखी लडकी रोशन घर की
पढी -लिखी लडकी रोशन घर की
Swami Ganganiya
हाथ माखन होठ बंशी से सजाया आपने।
हाथ माखन होठ बंशी से सजाया आपने।
लक्ष्मी सिंह
सृजन
सृजन
Rekha Drolia
जहां शिक्षा है वहां विवेक है, ज्ञान है।
जहां शिक्षा है वहां विवेक है, ज्ञान है।
Ravikesh Jha
**कविता: आम आदमी की कहानी**
**कविता: आम आदमी की कहानी**
Dr Mukesh 'Aseemit'
अब  रह  ही  क्या गया है आजमाने के लिए
अब रह ही क्या गया है आजमाने के लिए
हरवंश हृदय
मैं प्रभु का अतीव आभारी
मैं प्रभु का अतीव आभारी
महेश चन्द्र त्रिपाठी
3013.*पूर्णिका*
3013.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दिल में एहसास
दिल में एहसास
Dr fauzia Naseem shad
आशीष के दीप है जलाती, दुखों के तम से बचाती है माँ।
आशीष के दीप है जलाती, दुखों के तम से बचाती है माँ।
Dr Archana Gupta
" सत कर्म"
Yogendra Chaturwedi
*रखिए जीवन में सदा, उजला मन का भाव (कुंडलिया)*
*रखिए जीवन में सदा, उजला मन का भाव (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मुझे ढूंढते ढूंढते थक गई है तन्हाइयां मेरी,
मुझे ढूंढते ढूंढते थक गई है तन्हाइयां मेरी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आपकी आहुति और देशहित
आपकी आहुति और देशहित
Mahender Singh
योगा मैट
योगा मैट
पारुल अरोड़ा
ये जो मुझे अच्छा कहते है, तभी तक कहते है,
ये जो मुझे अच्छा कहते है, तभी तक कहते है,
ओसमणी साहू 'ओश'
Loading...