गुरुवर चरण वंदन
****गुरुवर चरण वंदन****
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प्रभु सम गुरुवर चरण वन्दन
कोटि कोटि करते अभिनंदन
किन शब्दों में करूँ शुकराना
तुम सा नहीं जीवन में दर्शन
कुदरत से भी ऊँचा है दर्जा
जब तक जिंदा करूँ मैं पूजन
मिट्टी माधो को है साधू बनाया
अज्ञानता का कर दिया मंथन
ज्ञानप्रकाश रुपी दीप जलाया
अज्ञानी और मूर्ख करते क्रंदन
गुरु बिना कभी गति न संभव
अमूल्य निधि तुम्हारा चिन्तन
कुरीतियों को है दूर भगाया
पाखंड का कर दिया खंडन
निष्पक्ष रूप से रहते सेवार्थ
व्रसनो का भी करवाते वर्जन
हाथ जोड़ सदा मैं करूँ स्तुति
गुरुजनों का कभी न हो रुदन
मनसीरत गुरुदेव महिमा गावे
शत शत प्रणाम है अभिवादन
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)