गुरुदेव /दोहे
मात पिता है प्रथम गुरु, सभी करें सम्मान ।
इनके कारण जग मिला, जीवन सुखद महान ।।
जिससे मिलता ज्ञान हो,आये जीवन काम।
वही जीव या जड़ प्रकृति, पाती है गुरु नाम ।।
वेद रूप भगवान ही, मेरे गुरु श्रीराम ।
मार्ग दिखा युग धर्म का, गवन किया निज धाम।
युग परिवर्तन के लिए, खोज लिये हनुमान।
युगनिर्माणी शिष्य जन, तपबल सौपा ज्ञान ।।
बड़े भाग्य जीवन मिला,मिले गुरू श्रीराम ।
गिद्ध गिलहरी की तरह,कहा करो कुछ काम ।।
अपने गुरु को सब कहे,ईश्वर का अवतार।
राम स्वयं भगवान ही, कहता अब संसार ।।
जिनके मन विश्वास हो,गुरू सदा है संग।
अहित नहीं होगा कभी,दोष होय सब भंग ।।
गुरू ब्रह्म सम मानिए,ब्रह्मा विष्णु महेश ।
ज्ञान धार से काटते,जीवन सभी क्लेश ।
चमत्कार को मानते, धोखा जग पाखंड़ ।
कर्म धर्म की राह से,कटते सारे दंड़।।
ज्ञान पुंज होते गुरू ,जीवन भरा प्रकाश ।
जो भी आते शरण में, होता नहीं निराश।।
गायत्री साधक हुए, वेद मूर्ति श्री राम ।
युग परिवर्तन के लिए, किये जगत हित काम।।
गायत्री की साधना,सबके हित की बात ।
श्री राम आचार्य कहा, गायत्री जग मात।।
सारे बंधन मुक्त कर, हटा दिया प्रतिबंध ।
एक शर्त ही आचरण,मंत्र जाप अनुबंध ।।
जगत गुरू आचार्य जी, गायत्री जप मंत्र ।
युग परिवर्तन के लिए, बना गये शुभ तंत्र ।।
आचरण व्यवहार बदल,मानव बने महान ।
शूद्र जन्म सबका रहा, कर्म धर्म सम्मान ।।
अब बारी है आपकी,रखना गुरु का ध्यान ।
जीवन जीने की कला, देगी सबको मान।।
राजेश कौरव सुमित्र