गुरुकुल शिक्षा पद्धति
भारत में वैदिक काल से ही शिक्षा गुरुकुल में दिलाई जाती थी।
जो घर होता था शिक्षक का जहाँ चौसंठ कलाएं सिखाई जाती थीं।।
हर एक कला जीवन प्रबन्धन का आवश्यक हिस्सा मानी जाती थी।
हर कला में हर बच्चे को पारंगत करना गुरु की विशेषता दर्शायी जाती थी।।
शिक्षा का सत्यानाश किया अंग्रेजों ने गुरुकुल पद्धति को ख़त्म करकर।
और अंग्रेज़ी माध्यम थोप दिया भारत के बच्चे बच्चे के दिल और दिमाग़ पर।।
अंग्रेजों से आज़ादी मिले भारत को अब तक कितने ही वर्ष हैं बीत गये।
अब तक भारत माँ के माथे पर से इस अंग्रेज़ी शिक्षा के निशान क्यों नहीं गये।।
अब समय आ गया है बच्चों उठकर माँ भारती के चरणों में तुम प्रणाम करो।
अंग्रेज़ी पद्धति की जला कर होली फिर से गुरुकुल शिक्षा का आवाहन करो।।
अपनी शिक्षा का माध्यम गुरुकुल ज्यों ही भारत के बच्चे अपनाने आगे आयेंगे।
भारत माता के मस्तक पर उस दिन गर्व से सब मिलकर हम चंदन तिलक लगायेंगे।।
कहे विजय बिजनौरी गुरुकुल के इतिहास का लोहा पहले भी विश्व ने माना है।
अब सब कुछ निर्भर है तुम पर गुरुकुल शिक्षा को कब से कैसे अपनाना है।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।