Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Mar 2018 · 1 min read

गुम होती,ईमानदारी,व इन्सानियत

सोने कि चिडिया कहते थे, जिसे कभी,
उस देश में आज हम, धारण कर चुके हैं भेडिये का रुप।
आदम जात,आज आदमी को काट खाने को है तत्पर,इस बात से होकर बेखबर।
कि कभी यह देश,सहिष्णुता का पैगाम लेकर,
निकल पडा था,
पुरी मानवता को,नयी राह दिखाने को।
पर आज तो,हालात इतने बदत्तर है्ं
नैतिकता का हो गया है,परिवार नियोजन,
और भाई भतिजा वाद एवम् भ्रष्टाचार,
बढती जनसख्या की तरह नियत्रण से बाहर है।
कभी मानवता थी जिसकी मूल भावना,
वहीं इमानदारी आज आउट आफ स्टाक है,
और इन्सानियत है अब खोज का बिषय।
मेरे देश में,सिर्फ एक वर्ग में यह गिरावट नही आई, अपितु हर वर्ग हर जाति,हर समुदाय में,
यह बदलाव आया है।
शेयर बाजार की तरह सरकारी,उपक्रमो की भान्ती इसमें लगातार गिरावट आरही है,
तथा अन्य कमाऊ उध्योगों के शेयरों कि तरह,
भ्रष्टाचार के बाजार भाव में उछाल जारी है।

Language: Hindi
301 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jaikrishan Uniyal
View all
You may also like:
!! वो बचपन !!
!! वो बचपन !!
Akash Yadav
"अन्दाज"
Dr. Kishan tandon kranti
आप हो न
आप हो न
Dr fauzia Naseem shad
होता ओझल जा रहा, देखा हुआ अतीत (कुंडलिया)
होता ओझल जा रहा, देखा हुआ अतीत (कुंडलिया)
Ravi Prakash
Sometimes you have to
Sometimes you have to
Prachi Verma
वेलेंटाइन डे आशिकों का नवरात्र है उनको सारे डे रोज, प्रपोज,च
वेलेंटाइन डे आशिकों का नवरात्र है उनको सारे डे रोज, प्रपोज,च
Rj Anand Prajapati
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
2452.पूर्णिका
2452.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
वन  मोर  नचे  घन  शोर  करे, जब  चातक दादुर  गीत सुनावत।
वन मोर नचे घन शोर करे, जब चातक दादुर गीत सुनावत।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
"तू मिल जाए तो"
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
टूटे तारों से कुछ मांगों या ना मांगों,
टूटे तारों से कुछ मांगों या ना मांगों,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
19-कुछ भूली बिसरी यादों की
19-कुछ भूली बिसरी यादों की
Ajay Kumar Vimal
■ सच साबित हुआ अनुमान।
■ सच साबित हुआ अनुमान।
*प्रणय प्रभात*
ओ जोगी ध्यान से सुन अब तुझको मे बतलाता हूँ।
ओ जोगी ध्यान से सुन अब तुझको मे बतलाता हूँ।
Anil chobisa
कवियों की कैसे हो होली
कवियों की कैसे हो होली
महेश चन्द्र त्रिपाठी
स्मरण और विस्मरण से परे शाश्वतता का संग हो
स्मरण और विस्मरण से परे शाश्वतता का संग हो
Manisha Manjari
शिगाफ़ तो भरे नहीं, लिहाफ़ चढ़  गया मगर
शिगाफ़ तो भरे नहीं, लिहाफ़ चढ़ गया मगर
Shweta Soni
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
पत्थर (कविता)
पत्थर (कविता)
Pankaj Bindas
दीपावली २०२३ की हार्दिक शुभकामनाएं
दीपावली २०२३ की हार्दिक शुभकामनाएं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मंजिल तक का संघर्ष
मंजिल तक का संघर्ष
Praveen Sain
You're going to realize one day :
You're going to realize one day :
पूर्वार्थ
लहज़ा तेरी नफरत का मुझे सता रहा है,
लहज़ा तेरी नफरत का मुझे सता रहा है,
Ravi Betulwala
तुम अभी आना नहीं।
तुम अभी आना नहीं।
Taj Mohammad
कुदरत
कुदरत
Neeraj Agarwal
*मकर संक्रांति पर्व
*मकर संक्रांति पर्व"*
Shashi kala vyas
उफ़ ये अदा
उफ़ ये अदा
Surinder blackpen
शमशान और मैं l
शमशान और मैं l
सेजल गोस्वामी
दिल धड़क उठा
दिल धड़क उठा
कुमार
शहीदों के लिए (कविता)
शहीदों के लिए (कविता)
गुमनाम 'बाबा'
Loading...