गुमान
सज़ा मिली है तो कोई गुनाह हुआ होगा,
समझ नहीं आता ऐसा क्या हुआ होगा ।
हर कदम फूँक कर रखता है राह में ,
कितने फरेब खाया होगा इस जहां में ।
सब को मालूम है मेहमान हैं इस मकान में,
सोचते हैं कयामत तक रहेंगे इस मकान में ।
वक्त पड़ने पर भी मदद नहीं लेता ।
मदद करने पे आमादा है ,किस गुमान में ?