गुमशुदा
जिन्दगी अब गुमशुदा है
न नाम है, न पता है।
भारी आपदा है।
राह में
कल किसी ने पुकारा था,
सम्बोधन स्पष्ट
पर
असंतोष भरा था।
कदमों की परिभाषा
मंद पड़ी आशा
अपरिचित आँखों का
दंश,
बड़ा गहरा था।
अपने को खोने का
लक्ष्य से भटकने का
प्रभा शून्य जिन्दगी के
अर्थ को समझने का
मूल -तंत्र
खोया है।
चित भी, रक्त -रंजित
क्षत-विक्षत
दूर कहीं सोया है।
भारी आपदा है।