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5 Oct 2021 · 1 min read

गुमशुदा सी गुमनाम है जिंदगी

गुमशुदा सी गुमनाम जिंदगी (ग़ज़ल)
******************************

गुमशुदा सी गुमनाम है जिंदगी,
ग़मज़दा सी अब आम है जिंदगी।

कब मिला है इंसाफ दिल को भला,
अब यहाँ तो हररोज बदनाम है जिंदगी।

है ठिकाना भी नहीं कुछ जरा,
दो पलों का आराम है जिंदगी।

डूब कर कोई भी नहीं है बचा,
ख्वाहिशों में नाकाम है जिंदगी।

यार मनसीरत ये जहां सिरफिरा,
गम भरी सी गोदाम है जिंदगी।
*******************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

1 Like · 344 Views
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