“गुमनाम शहीदों को, श्रद्धा नमन हमारा है”
आजादी को भारत ने कितने बलिदान दिये होंगे
कुछ लिखें गए इतिहास में लेकिन कुछ गुमनाम रहें होंगे
जो प्राण गवाँ निज वसुंधरा पर, बने वीर बलिदानी थे
इतिहास के पन्नों पर उनके, कुछ तो अधिकार रहें होंगे
सजल भाव से जिन वीरो को, भारत ने सदा पुकारा है
उन गुमनाम शहीदों को, श्रद्धा नमन हमारा है।
निज सुख साधन सब छोड़ चले, भारत को प्रबल बनाने को
प्रत्याशा के दीप जला, अँधियारा सकल मिटाने को
वो पागल कुछ दीवाने थे, सर पर कफ़न संभालें थे
बाँध कफन वो थाम चले, भारत के विकल जमाने को
प्रत्याशा के दीप जला, अँधियारा सकल मिटाने को
जो कर्तव्यों को तत्पर थे, भारत को सकल सँवारा है
उन गुमनाम शहीदों को, श्रद्धा नमन हमारा है।
अमिट छाप जो छोड़ गये, स्मृति की दीवारों पर
स्वेद नहीं शोणित हैं उनका, भारत के श्रृंगारों पर
बलिदान हुए गुमनाम रहें, ये कैसे परिणाम रहें
इल्जाम रहा इल्जाम रहेगा, इतिहास के पहरेदारों पर
स्वेद नहीं शोणित हैं उनका, भारत के श्रृंगारों पर
इतिहास भले ही भूल गया, पर भारत ऋणी ये सारा है
उन गुमनाम शहीदों को, श्रद्धा नमन हमारा है।
कुमार अखिलेश
देहरादून (उत्तराखण्ड)
मोबाइल नंबर 09627547054