गुब्बारे
रंगबिरंगे ये गुब्बारे
बच्चे बड़े सभी को प्यारे
फूँक मार कर इन्हें फुलाते
दीवारों पर खूब सजाते
फट से फूट कभी जाते तो
बच्चे रोतेडर के मारे
रंगबिरंगे ये गुब्बारे
इन्हें गैस से भी भरवाते
डोर पकड़ कर खूब उड़ाते
कभी छूट जाते हाथों से
तब बच्चे लगते बेचारे
रंगबिरंगे ये गुब्बारे
देखो कब का बीता बचपन
पर बच्चा रहता पागल मन
गुब्बारों को देख पुराने
याद हमें पल आते सारे
रंगबिरंगे ये गुब्बारे
16-04-2018
डॉ अर्चना गुप्ता