गुनाह
लो फिर एक आहट यादों को कुछ भीगो सी गई
चली जो पुर्वा दिल के ज़ख्मों में शूल चुभो सी गई
वो बनके अश्क मेरी पलकों को हररोज धोते हैं
हम जागते सारी रैना,सितमगर वो चैन से सोते हैं
वो हैं मशरुख अपनी ज़िन्दगी में और हम तन्हा हैं
फसाना -ए -इश्क,एे ज़माने से कहना गुनहा हैं
नीलम शर्मा✍️