गुनाह हो गया है, इज़हार करना..
गुनाह हो गया है, इज़हार करना
हुई है मोहब्बत , मुझे माफ करना
समझा है सब ने, सच को भी झूठा
क्योंकी सच ही जता कर, है लोगों ने लूटा
है दिल में मोहब्बत, उसके लिए पर
मैं कैसे कहूँ, जो समझे मुझे वो
डरता हूँ, कहीं रूठ जाये न मुझसे
इज़हार दिल का, किया मैं अगर तो
वो मिल जाये मुझको, तो पलकों पे सजा लूँ
दुल्हन बना कर, उसे दिल मे बसा लूँ
अपनी ख़ुशी सारी, उसपे लुटा दूँ
हर इक गमों को मैं, उससे चुरा लूँ
पर गुनाह हो गया है, इज़हार करना
हुई है मोहब्बत, मुझे माफ करना…
आकाश त्रिपाठी (जानू )