गुदडी के लाल, लालबहादुर शास्त्री
छोटा कद पर सोच बड़ी थी,
तेज सूर्य सा चमके था भाल।
भारत मां के गौरव वे थे,
कहलाए वे गुदड़ी के लाल।।
देश के प्रति थी पूरी निष्ठा,
कोई काम न करते थे टाल।
जन जन के वे प्यारे थे,
कहलाए वे सादगी के लाल।।
जन्म हुआ था उनके भारत मै,
पर मृत्यु हुई थी रूस में जाकर
विधि ने छीना उन्हें अकाल,
भारत मां के थे सच्चे लाल।।
बचपन उनका गरीबी में गुजरा,
कभी नहीं जीवन गरीबी से उबरा।
दिल था उनका अमीरों से विशाल,
कहलाए थे वे तब बहादुर लाल।।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम