गुणों की खान
यह गुणों की खान कहां से लाए हो
इन्हें देखकर होता है असीम सुख
का अनुभव हृदय में तुम छाए हो
कितनी शैली कितना संयंम इनके अंदर
देखो स्प्रिंगडेल्स स्कूल का विशाल समंदर
जब जब देखूं की ओर
अंधियारे जीवन में हो जाती है भौर
बच्चे बच्चे को प्रेम मिला तुम्हारा
इकलौता नहीं कोई न्यारा
मुश्किल दौर से जब हो सामना सुंदर
छवि बनकर झट आ, जाते हो
व्याकुल मन को ना जाने कब हर्षा जाते हो
इतना सौम्य व्यक्तित्व इतना सुंदर अपनत्व
अब यहां मिलेगा यह ममत्व
यह गुणों की खान कहां से लाए हो
इन्हें देखकर होता है असीम सुख
का अनुभव ह्रदय में तुम छाए हो
रचनाकार मंगला केवट होशंगाबाद मध्य प्रदेश