Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 May 2023 · 2 min read

गुणवत्ता का ह्रास

गुणवत्ता का ह्रास
// दिनेश एल० “जैहिंद”

ना संस्कृति की बात करो, ना अब संस्कार पर बोलो।
हे मनुज, तुम कितने गिर चुके अब अपने आप ही तोलो।।

नीति-न्याय की बातें इस जग में
अब व्यर्थ हुई हैं।
ईमान-धर्म की ये राहें इस जग में
अब अनर्थ हुई हैं।।

नगद-नारायन लगता है सबको
अब प्यारा भैया।
बड़े-बुजुर्ग का है कौन जगत में
पार कराये नैया।।

बड़ बोलापन हाबी हुआ है ऐसा
जन-जन में साईं।
घर में ही माँ-बाप उपेक्षित हो गये
संतान हुई पराई।।

घर टूटता, परिवार बिखरता देख
रहे हैं कुर्सीवाले।
सबको अपनी जेब पड़ी है चुप्पी
साधे हैं रखवाले।।

शिक्षा से कहते ज्ञान मिलता परंतु
अज्ञानता कैसे आई?
रिश्तों में आग लगी है ये चिंगारी
किसने कब लगाई?

नजर फेरके मंत्री बैठे वधिर न्याय- कर्ता भी चुप हैं।
समाजशास्त्री भी चुप बैठे हैं, क्यों
ज्ञानी भी गुम हैं।।

मानवता पर पकड़ ढीली पड़ गई ज्ञानी ध्यानी की।
अब कोई असर नहीं है इंसानों पर
संतों की बानी की।।

अब कौन सुनेगा उपदेश गीता का
अश्लीलता के आगे?
कौन बनेगा अब पुरुषोत्तम रामचंद्र
नर अधम अभागे।।

महात्माओं की वाणी भी बे-असर
हम चंडालों पर।।
हितोपदेश की बातें भी प्रभावहीन
हम कंगालों पर।।

कौन बनेगा श्रवण जो बाप-माँ को
पार-घाट लगाये।
कोई नहीं बचा अब इस धरती पर
कुटुंब-पाठ पढ़ाये।।

अब ऐसे नीच-अधम पुरुष हैं यहाँ
मीन-मेख निकालें।
अपना धर्म और कर्तव्य भूल कर
धन के हैं मतवाले।।

मातृपितृ व जन्मभूमि से भी कोई
ऊँचा है जग में।
राष्ट्र नहीं तो हम नहीं सुख ऐसा है
कौन-से स्वर्ग में?

माता को जो ठुकरायेगा वो कहीं
चैन नहीं पायेगा।
दौलत की ढेर पर बैठा हो तो भी
दफन हो जायेगा।।

=============
दिनेश एल० “जैहिंद”
23/05/2023

Language: Hindi
3 Likes · 1036 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
International Camel Year
International Camel Year
Tushar Jagawat
इस उजले तन को कितने घिस रगड़ के धोते हैं लोग ।
इस उजले तन को कितने घिस रगड़ के धोते हैं लोग ।
Lakhan Yadav
कोई वजह अब बना लो सनम तुम... फिर से मेरे करीब आ जाने को..!!
कोई वजह अब बना लो सनम तुम... फिर से मेरे करीब आ जाने को..!!
Ravi Betulwala
नौ वर्ष(नव वर्ष)
नौ वर्ष(नव वर्ष)
Satish Srijan
दिल का आलम
दिल का आलम
Surinder blackpen
पलकों पे सपने लिए, लाँघे जब दहलीज।
पलकों पे सपने लिए, लाँघे जब दहलीज।
डॉ.सीमा अग्रवाल
तुझसे उम्मीद की ज़रूरत में ,
तुझसे उम्मीद की ज़रूरत में ,
Dr fauzia Naseem shad
..
..
*प्रणय*
लड़कियों के प्रति आकर्षण प्राकृतिक और स्वाभाविक होता है जिसम
लड़कियों के प्रति आकर्षण प्राकृतिक और स्वाभाविक होता है जिसम
Rj Anand Prajapati
प्यार में पड़े किसी इंसान की दो प्रेमिकाएं होती हैं,
प्यार में पड़े किसी इंसान की दो प्रेमिकाएं होती हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
लगे मुझको वो प्यारा जानता है
लगे मुझको वो प्यारा जानता है
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
काली स्याही के अनेक रंग....!!!!!
काली स्याही के अनेक रंग....!!!!!
Jyoti Khari
!! परदे हया के !!
!! परदे हया के !!
Chunnu Lal Gupta
122 122 122 12
122 122 122 12
SZUBAIR KHAN KHAN
यह मौसम और कुदरत के नज़ारे हैं।
यह मौसम और कुदरत के नज़ारे हैं।
Neeraj Agarwal
मेरे नयनों में जल है।
मेरे नयनों में जल है।
Kumar Kalhans
मरना कोई नहीं चाहता पर मर जाना पड़ता है
मरना कोई नहीं चाहता पर मर जाना पड़ता है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
दोहा त्रयी. . . शीत
दोहा त्रयी. . . शीत
sushil sarna
ଏଭଳି ସ୍ଥିତି ଉପୁଜିଛି
ଏଭଳି ସ୍ଥିତି ଉପୁଜିଛି
Otteri Selvakumar
*ट्रस्टीशिप : सनातन वैराग्य दर्शन का कालजयी विचार*
*ट्रस्टीशिप : सनातन वैराग्य दर्शन का कालजयी विचार*
Ravi Prakash
रोज रात जिन्दगी
रोज रात जिन्दगी
Ragini Kumari
काश ! ! !
काश ! ! !
Shaily
तनाव ना कुछ कर पाने या ना कुछ पाने की जनतोजहत  का नही है ज्य
तनाव ना कुछ कर पाने या ना कुछ पाने की जनतोजहत का नही है ज्य
पूर्वार्थ
कब भोर हुई कब सांझ ढली
कब भोर हुई कब सांझ ढली
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
श्रीराम अयोध्या में पुनर्स्थापित हो रहे हैं, क्या खोई हुई मर
श्रीराम अयोध्या में पुनर्स्थापित हो रहे हैं, क्या खोई हुई मर
Sanjay ' शून्य'
4602.*पूर्णिका*
4602.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बचपन याद किसे ना आती💐🙏
बचपन याद किसे ना आती💐🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हे अजन्मा,तेरा कैसे जन्म होगा
हे अजन्मा,तेरा कैसे जन्म होगा
Keshav kishor Kumar
"पैमाना"
Dr. Kishan tandon kranti
अपना पन तो सब दिखाते है
अपना पन तो सब दिखाते है
Ranjeet kumar patre
Loading...