“गुजारिश”
गेसुओं में फिरती अंगुलियों की गर्माहट ,
दबे सुर में लोरी की गुनगुनाहट ।
आँखों में जलन सी भरी है ,
एक अंजुरी भर नींद की भेजो ना ।।
भूली-बिसरी यादों की ,
अनदेखे ख्वाबों की गाँठ लगी गठरी ।
घर के किसी कोने में ,
बेतरतीबी से रखी है ।।
एक गुजारिश है तुमसे ,
मेरे अहसासों को नेह भरी पाती संग ।
मेरे अनमोल थाती समझ ,
मुझ तक भेजो ना ।।
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