गुज़ारिश फुज़ूल है
दिल में जगह नही है तो कोशिश फुज़ूल है
दिल के मुआमलों में सिफ़ारिश फुज़ूल है
आमाल हों बुलंद तो चेहरा चमक उठे
मेकप की रोज़ रोज़ यह पॉलिश फुज़ूल है
उल्टी है धार प्रेम की खुसरो यह कह गए
दरिया-ए इश्क़ पार हो कोशिश फ़ुज़ूल है
मैं तो मुहब्बतों का पुजारी हूं सोच लो
‘मेरे खिलाफ आपकी साज़िश फुज़ूल है’
महसूस जब कि दर्द हमारा नहीं हुआ
ज़ख़्मों की रोज़-रोज़ नुमाइश फुज़ूल है
हक मांगने से आज मिलेगा नहीं यहां
अब छीनना पड़ेगा गुज़ारिश फ़ुज़ूल है