गुज़र गया वक्त (ग़ज़ल)
ग़ज़ल
गुजर गया वक्त यूंही याद में रोते रोते।
थी आरज़ू खुशी की ग़म में खोते-खोते।
बेश़क ! मुहब्बत है इम्तिहान लेती।
बहुत कम बचे हम फ़ना होते होते।
आइना जो देखा धुंधला पड़ा है।
वक्त अपना बिगड़ा धुआँ होते होते।
सावन की बरसात तो इक ग़ुमां थी।
कर रहा ग़म था ज़ाहिर समा रोते रोते।
सुधा भारद्वाज
विकासनगर