गुजरे हुए लम्हात को का याद किजिए
गुजरे हुए लम्हात को का याद किजिए
जो साथ ना दे दो कदम क्या याद किजिए
मिलती नहीं यह जिंदगी, इंसान को बार-बार
इस जिंदगी को यूँ ही ना बर्बाद किजिए
जो साथ ना दे दो कदम
सबको वहीं मिलेगा, जो लिखा नसीन में
किसको क्या मिला ना हिसाब किजिए
जो साथ ना दे दो कदम
गम दे गया तो क्या हुआ, नहीं गैर था कोई
उनको मिले खुशी, यहीं फरियाद किजिए
जो साथ ना दे दो कदम
ले जाए चैन लूटकर, और आए ना उम्र भर
उस बेवफा को फिर क्या आवाज दिजिए
जो साथ ना दे दो कदम
“V9द” मेरी इल्तिजा है, तुम गौर से सुनना
होता नहीं नाराज, खुदा को याद किजिए
जो साथ ना दे दो कदम
स्वरचित
V9द चौहान