गुजरे लम्हे
गुजर गये हैं जो
लम्हे जिन्दगी के
लौट कर नही आयेंगे
वो मुकाम बीते सफर के ।
गुजर गये हैं जो
तूफान गमो के
साथ उड़ा ले गये है
सैलाब छलकते आंसुओं के ।
गुजर गये हैं जो
काफिले बहार के
छोड़ गये हैं
निशान अपनी दास्तान के ।
गुजर गये हैं जो
लोग इस दुनिया के
गुमनाम हो गये हैं जैसे
पन्ने किसी पुरानी किताब के ।।
राज विग