गुजरा वक्त।
गुज़रा वक्त कहां लौटकर आता है।
झूठी जिन्दगी यहां हर बशर बिताता है।।
हम जिंदगी जी रहें है बस यादों में।
आज में जीना इस दिल को न आता है।।
जनाजा ले जाना यार की गली से।
देखना वो कैसे दीदार को नज़र आता है।।
ये वक्त है यूं न बिताओ आराम से।
गुरबती में हर रिश्ता फिर बिगड़ जाता है।।
यूं न हो मायूस तू इस जिन्दगी से।
मेहनत से वक्त सबका ही संवर जाता है।।
जिंदगी में आजमाइशें होती है खूब।
पर हो लगन तो बंजर में गुल खिल जाता है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ