गुजरते हुए उस गली से
गुजरते हुए उस गली से ,मन सहम सा जाता है।
न जाने क्यों रह रह कर,वो शख्स याद आता है।
धीमी धीमी फुहारें हो ,जब रात के आंचल पर
आंसूओं से उसका मुझे भिगोना याद आता है।
एक चुप सी क्यूं है लगी, ख़ामोशी है चार सू
कितनी चीखें दबी है सोच कर याद आता है।
माना बहुत बेदर्द है, ज़ालिम है ये ज़माने वाले
भीगे चेहरे से उसका मुस्कराना याद आता है।