……गीत
दर्द के गीत गुनगुनाने दो ……
मुझको थोडा सा मुस्करानें दो
दर्द के गीत गुनगुनाने दो ……..
मै भी जिंदा हूँ अभी महफिल में
दिल को थोडा सा बहल जानें दो
दर्द के गीत …………..
इक तस्वीर है ठहरी ठहरी
मुझको पूरा उसे बनानें दो
दर्द के गीत ………….
मै बेवफा को खुदा कहता हूँ
उसकी यादों में डूब जानें दो
दर्द के गीत ……….
आज हम बात उसकी मानेंगे
खत उसके आज ही जलानें दो
दर्द के गीत ………..
चलो “सागर” जाँ रूखसत कर दो
आज रोको ना बस मर जानें दो
दर्द के गीत गुनगुनाने दो …..!!
मूल गीतकार ……
डाँ. नरेश कुमार “सागर”