गीत
चाहत
तू ही तो है चाहत, तू ही तो है राहत,
पंछी मैं तू, भोर की पहली किरन,
तुझे न देखूं तो, दिल में उदासी,
जो देखूं तुझे, दिल में आशा-किरन.
चेहरों में इक तेरा, चेहरा सुहाना,
मिला है इन आंखों को, ख़ुशी का खजाना,
नज़र चेहरे से, कहती हैं कुछ तेरे,
जैसे हिमालय से कहे सूरज-किरन.
दिल कहना चाहे पर धक-धक करे,
अपना मोल अपने से कब तक करे,
चांद तकता चकोर सा दिल बेचारा,
इक तरफा इश्क नादांं कब तक करे,
तू ही अब कह दे दिल से पागल हो गया,
जो इक दरिया पर पोखर मायल हो गया,
मगर दिल फिर भी तो, आशिक दीवाना,
तुझ पे चाहता है, खुद को मिटाना,
छाए हैं बादल, मेरे इस दिल पर,
बरसो या आने दो, दिल में किरन.
तेरी मर्जी
मेरी ज़िन्दगी में तेरा रंग भरना,
तेरा रंग भरके बेरंग करना.
ढूंढ रहा हूं मौजूदगी को,
मेरी ज़िन्दगी में तेरी ज़िन्दगी को.
तूने किया है खुद से जुदा,मैं
टूटा सा तारा खफा हूं खुदा से.
तेरी थी मर्जी तेरा ही बहाना,
किसी और का तेरे दिल में ठिकाना.
टूटा सा तारा मुझको बनाकर,
खुदको ही मांगा है मुझको मनाकर.
पंकज बिंदास