गीत
गीत
प्रेम आखर लिख रही हूं, जो अमिट पावन रहेंगे
भाव मेरे मन के पढ़ना सत्य ये तुमसे कहेंगे ..
कष्ट तेरे चुन लिए हैं
साथ अपने बुन लिए हैं
भाग्य को स्वीकार करके
प्रस्तरों को हार करके ..
जिंदगी की धार में हम साथ में दोनों बहेंगे
प्रेम आखर लिख रही हूं जो अमिट पावन रहेंगे
हर्ष में हम हंस जैसे
बादलों के पार जाकर
हो अभय दुख की सरि से
नेह के कुछ गीत गाकर
चैन की ओढ़े रजाई सुख में हम लिपटे रहेंगे
प्रेम आखर लिख रही हूं जो अमिट पावन रहेंगे
सीख लेंगे हम सरलता ,
प्रेम में पाकर अटलता
नेह का तोरण सजाकर
आस का दीपक जलाकर,
हो अगर गारा भी जीवन कोकनद से हम खिलेंगे.
प्रेम आखर लिख रही हूं जो अमिट पावन रहेंगे ..शेष
मनीषा जोशी मनी..