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16 May 2023 · 1 min read

गीत

गीत

‌क्षेत्रपाल शर्मा

देख धरा का सिंगार, सब निहारते रहे।।

फूल, सब मचल उठे, तितलियों से क्या कहे।।

हरी -हरी दरी बिछी,

पीत वसन सज गये,

टेसुओं ने गैल रोकी,

दिगंत सब महक गये,

भाल पर मौर धरे,सहन संवारते रहे।।

गूंज नवरातन की,

रास की हास की,

अंगड़ाई ली फिर,

बीते मधुमास की,

झरते प्रसून,बस यादें बुहारते रहे।।

ऋतु है तो दूब है,

पीयूष भी खूब है

वसा- भरे तन बदन,

मोमिया का रूब है,

फूर्त और उजास से , ऋचा उचारते रहे।।

बिंब नये, बात नयी,

बीती , वो बात गयी

सुधि लीज्यौ आज की

कल की बरात भयी

घर घर में इष्टन की आरती उतारते रहे ।।

( शान्तिपुरम, सासनी गेट आगरा रोड अलीगढ़ 202001)

Language: Hindi
113 Views
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