गीत
विधा गीत
विषय पागल मनवा सुख को ढूंढे ,इस नश्वर संसार में।
मात्रा- 16/13
करता सदा खोटी कमाई ,दुनिया के बाजार में।
तू राम नाम भूला काहे, जीवन के व्यापार में।
जब आधि- व्याधि घेरे तोहे, दूर खड़ा परिवार में।
पागल मनवा सुख को ढूंढे इस नश्वर संसार में।
धन की तृष्णा घेरे तोहे, कर -कर लंबे हाथ रे।
अंत समय हाथ खाली रहे, क्या कुछ जाए साथ रे।
धन से मालामाल रहे पर, तृष्णा हो बेकार में।
पागल मनवा सुख को ढूंढे, इस नश्वर संसार में।
नाम भजन से चिंता छूटे, छूटे लोभ अहंकार।
तन की सभी व्याधियों छूटे, नित भजता जो करतार।
तन – धन सब यहां छूट जाते, फंदा पड़ता द्वार में।
पागल मनवा सुख को ढूंढे ,इस नश्वर संसार में।
ललिता कश्यप जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश