#गीत
#गीत
हरपल चाहूँ तुझे निहारूँ, कितनी प्यारी सूरत है।
हँसी तुम्हारी कमल सरीखी, मौन चाँद की मूरत है।।
भोली-भोली बातें तेरी, मन मधुबन की शाला है।
नशा तुम्हारी आँखों में वो, सज़दा करती हाला है।
होंठ गुलाबी नैन ज़वाबी, दिल में खिले मुहब्बत है।
हँसी तुम्हारी कमल सरीखी, मौन चाँद की मूरत है।।
नीयत सीरत पावन गंगा, सोच नदी सागर-सी है।
भाव तुम्हारे रामायण-सम, मिलन नीर का गागर है।
रुत आए जाए पनघट पर, धरा गगन-सी फ़ितरत है।
हँसी तुम्हारी कमल सरीखी, मौन चाँद की मूरत है।।
ख़्वाब मेल हैं सूर्य-रोशनी, नींद स्वप्न आलिंगन हैं।
प्रेम ज़वाब तुम्हारे प्रीतम, सर्द-धूप-सम नूतन हैं।
हौंसले शोहरत देते हैं, कुदरत जैसी आदत है।
हँसी तुम्हारी कमल सरीखी, मौन चाँद की मूरत है।।
#आर.एस. ‘प्रीतम’